गाँधी जी अपने साथियों की जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, जेकिन उनका खुद का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था। क्यों? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।
गांधी जी दूसरों की मदद करने और अपना काम खुद करने पर यकीन करते थे। उन्हें लगता था कि जब तक शरीर लाचार न हो तब तक अपने काम खुद ही करना चाहिए। फिर चाहे चक्की से आटा पीसना हो, बर्तन धुलना हो, आश्रम के लिए कुएं से पानी ही भरना क्यों न हो। वह मानते थे कि उम्र की वजह से नहीं बल्कि शरीर में जब तक ताकत है तब तक को हर काम को खुद करने का साहस होना चाहिए।